केन्द्रीय विद्यालय प्रार्थना

असतो मा सद् गमय:
तमसो मा ज्योतिर्गमय मृत्योर्मामृतं गमय

दया कर दान विद्या का हमें परमात्मा देना
दया करना हमारी आत्मा में शुद्धता देना
हमारे ध्यान में आओ प्रभू आँखों में बस जाओ
अँधेरे दिल में आकर के प्रभू ज्योति जगा देना
बहा दो प्रेम की गंगा दिलों में प्रेम का सागर
हमें आपस में मिल-जुल कर प्रभु रहना सिखा देना
हमारा धर्म हो सेवा हमारा कर्म हो सेवा
सदा ईमान हो सेवा व सेवक जन बना देना
वतन के वास्ते जीना वतन के वास्ते मरना
वतन पर जाँ फिदा करना प्रभू हमको सिखा देना
दया कर दान विद्या का हमें परमात्मा देना।

ओ३म् सहनाववतु
सहनोभुनक्तु
सहवीर्यम् करवावहै:
तेजस्विनामबधीतमस्तु
मा विदुषावहै
ओ३म् शान्ति..... शान्ति..... शान्ति...